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Jail Radio: Ambala

Mar 8, 2010

बहुत हुआ


बस
अब रंगों जैसा ही हो जाना है
घुल जाना है

पानी जैसे
बह जाना है

पहाड़ जैसे
टिक जाना है

शहर जैसे
चल पड़ना है

बर्तन जैसे
बन जाना है

रिश्ते जैसे
निभ जाना है

मर्द  जैसा
बेवफा होना है

सब कुछ होना आसान ही है शायद
पर औरत होना
खुद अपने जैसा होना !!!!!